विंदुसार का जीवन

             विंदुसार ( 298BC -272BC )


* जैन ग्रंथ परिशिष्ट( हेमचन्द्र ) पर्व के अनुसार बिंदुसार चंद्रगुप्त मौर्य की पहली पत्नी दुर्धरा का पुत्र था बिंदुसार का जन्म 320 ईसापूर्व में एवं मृत्यु 272 ईसापूर्व में 52 वर्ष की उम्र में हुई ।

* बिंदुसार की पत्नी का नाम उत्तरी परंपरा के अनुसार सुभद्रांगी एवं दक्षिणी परंपरा के अनुसार धर्मा था यह दोनों नाम एक ही स्त्री के हैं सुभद्रांगी ने अशोक को जन्म दिया।

* इतिहास में बिंदुसार "को पिता का पुत्र" और "पुत्र का पिता" कहा गया है क्योंकि बिंदुसार चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र और अशोक महान के पिता थे।

                             *उपनाम*
* जैन ग्रंथ राजवलिकथे में "सिहसेन"बिंदुसार के बचपन का नाम बताएं गया है।

* यूनानी लेखक बिंदुसार को "अमित्रोचेड्स"और "अमित्रोचेट्स" कहते थे।

* स्ट्रोबो ने विन्दुसार को "अमित्रोकेड्स" कहा है ।

* फ़लीट ने  बिंदुसार को अमित्रघात हड़ताल शत्रुओं का नाश करने वाला कहा है।

* वायु पुराण मैं बिंदुसार को भद्रसार कहा गया है।

* दिव्यावदान के अनुसार बिंदुसार के शासनकाल में तक्षशिला के लोगों ने दो बार विद्रोह किया तक्षशिला उस समय उत्तरापथ की राजधानी थी जिसका प्रशासन अशोक का बड़ा भाई सुशील था विद्रोह का कारण सुशीम का कुप्रशासन था तक्षशिला के विद्रोह को दबाने के लिए विन्दुसार  अपने पुत्र अशोक को भेजता है अशोक उस समय उज्जैन और मालवा का प्रशासक नियुक्त था।

* बिंदुसार की महत्वपूर्ण उपलब्धि अपने पिता द्वारा जीते गए सभी क्षेत्रों को विजित रखना था चाणक्य बिंदुसार के समय भी प्रधानमंत्री रहे।

                    * विदेशी सम्बन्ध*
* बिंदुसार ने विदेशों से भी शांतिपूर्ण संबंध बनाए रखें सीरिया (यूनान ) के शासक एण्टियोकस को बिंदुसार ने पत्र लिखा कि वह अपने देश में है कुछ मधुर मदिरा ,सूखे अंजीर है और एक दार्शनिक भेज दे एण्टियोकस प्रथम दो वस्तुओं में भेजने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन दार्शनिक  भेजने से मना कर देता है क्योंकि वह सीरिया के नियमों के खिलाफ था बाद में डायमेकस नाम का राजदूत चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजता है।


* फिलनी के अनुसार मिश्र नरेश फिलाडेलफ्स(मैली द्वितीय/ टाल्मी द्वितीय )डीयनिसियस नाम का राजदूत विंदुसार के दरबार मे भेजता  है ।

* बुद्धिस्ट स्रोतों के अनुसार बिंदुसार के जीवन की जानकारी दीपवंश महावंश टीका, वत्सकथाकासिनी और 12वीं शताब्दी का परिशिष्ट परवन  ग्रंथ में मिलती है।


*272BC  में विंदुसार की मृत्यु हो जाती है।

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